झारखण्ड/साहिबगंज:- विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी हेमंत सती की उपस्थिति में साहेबगंज के ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम की प्रथम स्तरीय जांच (FLC) की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इस प्रक्रिया के दौरान सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम को खोला गया और एफएलसी (प्रथम स्तरीय जांच) की शुरुआत की गई।
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार,एफएलसी की यह प्रक्रिया चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया के तहत चुनाव में उपयोग किए जाने वाले ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की फर्स्ट लेवल चेकिंग की जाती है। इस महत्वपूर्ण कार्य में,ईवीएम की सभी तकनीकी और भौतिक स्थिति की जांच की जाती है,जिसमें मशीनों के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण,सफाई और पहले के डाटा को साफ करना शामिल होता है।
जिला निर्वाचन पदाधिकारी हेमंत सती ने स्वयं इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी की और सभी सुरक्षा पहलुओं का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने सुरक्षा में तैनात जवानों को प्रवेश गेट की निगरानी के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
एफएलसी (FLC) की प्रक्रिया में क्या-क्या किया जाता है?
एफएलसी (FLC) के दौरान निम्नलिखित गतिविधियों को सुनिश्चित किया जाता है:
1.मशीनों की सफाई: सभी ईवीएम और वीवीपैट मशीनों से पहले की चुनावी सामग्री जैसे एड्रेस टैग, बैलेट पेपर आदि को हटाया जाता है और मशीनों को साफ किया जाता है।
2.दृश्य निरीक्षण: मशीनों के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई संरचनात्मक क्षति या टूट-फूट न हो।
3.पूर्ण कार्यक्षमता परीक्षण: सभी स्विच और अन्य इलेक्ट्रॉनिक घटकों की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मशीनें ठीक से काम कर रही हैं। इस दौरान, मशीनों के प्लास्टिक कैबिनेट को खोलकर उनके अंदर के पीसीबी और अन्य घटकों की भी जांच की जाती है।
4.मॉक पोल: मॉक पोल के माध्यम से मशीनों की वास्तविक समय में जांच की जाती है। इसमें विभिन्न प्रत्याशियों के लिए वोट डाले जाते हैं और फिर परिणामों की पुष्टि की जाती है।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करने का अवसर दिया जाता है कि मशीनें ठीक से काम कर रही हैं और कोई विसंगति नहीं है। इसके अतिरिक्त, इस प्रक्रिया की पूरी वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग भी की जाती है, ताकि निर्वाचन आयोग के अधिकारी इसे लाइव देख सकें।
संवाददाता जहांगीर आलम